Sunday, December 25, 2016

Zindagi...

यूँ  तो ज़िन्दगी सबको  गिराती है , गिरा कर फिर से उठाती है
पर हम जीना तो नहीं छोड़ देते...
और जब जीना नहीं छोड़ते,  तो खुद के लिए लड़ना क्यों छोड़ देते?

कुछ हौंसला रखो, कुछ मंज़िलें तय करो
और उन तक पहुँचने के लिए कुछ क़दम बढ़ाओ
मंज़िलें ना मिलने पर,  हम कोशिश करना तो नहीं छोड़ देते...
और जब  कोशिश करना नहीं छोड़ते, तो नए ख़्वाब बुनना क्यों छोड़ देते ?

आसमां और भी हैं छूने के लिए ,
रास्ते और भी हैं बढ़ने लिए
रास्ते गुम होने पर, हम चलना तो नहीं छोड़ देते...
और जब चलना नहीं छोड़ते , तो आगे बढ़ना क्यों छोड़ देते ?

ख़ुदा भी साथ है खुदाई दिखाने को,
और हिम्मत भी है बेपनाह होने को
दुआ देर से क़ुबूल होने पर , हम ख़ुदा को तो नहीं छोड़ देते...
और जब ख़ुदा को नहीं छोड़ते , तो उस पर ऐतबार कैसे खो देते ?