सुनो, अब वापिस मत आना, अब हम संभल गए हैं।
दिल की धड़कनें अब तुम्हारे नाम से तेज़ नहीं होतीं,
और तो और, तुम्हारी पसंद भी भूलने लगी हूँ।
याद ही नहीं कि तुम्हें आइसक्रीम का,
कौन सा फ़्लेवर पसंद था।
या फिर कौन सा रंग, कौन सा ब्राण्ड।
तुम्हारे नाम को गूगल करना भी बंद कर दिया है,
और वो चैट्स भी नहीं हैं अब मेरे फ़ोन में।
तुम्हारी पसंदीदा ‘टिक-टैक’ भी अब मेरे पर्स में नहीं रहती।
तुम्हारे फ़ोटो के स्क्रीनशॉट्स भी लेने बंद कर दिए हैं।
अब जो ये चमत्कार हो ही गया है तो सोचा बता दूँ,
कि अब तुम लौट कर मत आना,
हम भी संभल गए हैं और दिल भी।