Wednesday, November 29, 2017

तुम....

तुम उस छुट्टी की सुबह से हो,
जिसमें बस अच्छा लगता है।
जिसे बिताना नहीं होता,
बल्कि भरपूर जीना होता है।
तुम उस चाय के जैसे हो,
जिसे पीने के लिए वजह नहीं चाहिये,
बस ज़रूरत होती है।

No comments: